छत्तीसगढ़ राज्य को भू-आकृतिक दृष्टि से चार भागों में बांटा जा सकता है:- 1. उत्तर का बघेलखण्ड का पूर्वी पठार तथा छोटा नागपुर के पाट पठार प्रदेश 2. छत्तीसगढ़ का मैदान या महानदी बेसिन 3. दण्डकारण्य का दक्षिणी पठार 4. पश्चिम में मैकाल श्रेणी। अर्थात् छत्तीसगढ़ में वर्षा की प्रकृति मानसूनी है तथा वर्षा ऋतु गर्म एवं आर्द्र है। लगभग 90% वर्षा यहाँ दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं द्वारा होती है। प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 120-125 सेमी. होती है। छत्तीसगढ़ में शिवनाद मैदान के समीपवर्ती भाग और मैकाल श्रेणी के निकट न्यूनतम वर्षा होती है। क्योंकि मैकाल श्रेणी द्वारा इन हवाओं के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने के कारण यहाँ मानसून हवाओं की स्थिति कमजोर होती है। जिससे कवर्धा एवं उत्तरी राजनांदगाँव के कुछ क्षेत्रों में वृष्टिछाया का प्रभाव उत्पन्न होता है। अर्थात् सबसे कम वर्षा कवर्धा क्षेत्र में और सबसे अधिक वर्षा नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में होती है।