आर्थिक दृष्टि से बाँस का विशेष स्थान है। बाँस से लुगदी, कागज, घर, टोकरी, सूपा, झाडू, टट्ता, चटाई आदि बनाये जाते हैं। प्रदेश के वनोपज से प्राप्त कुल आय में से 20% योगदान बाँस का है। प्रदेश में मुख्यत: रायगढ़, बिलासपुर, मुंगेली, बस्तर, कोण्डागाँव, नारायणपुर, जशपुर, रायपुर, सरगुजा, सूरजपुर तथा बलरामपुर में बाँस वन पाये जाते हैं यहाँ मुख्यत: नर बाँस ( लाठी बाँस ) ही प्राप्त होते हैं। बस्तर संभाग में बाँस के लगभग 80 प्रजातियाँ मिलने का अनुमान है। यद्यपि बैनेट एवं गौर के सर्वे के अनुसार 9 प्रजातियों की ही पुष्टि हो सकी है।