भारत के सिर्फ 7 राज्यों ( यथा यूपी, जम्मू और कश्मीर, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना ) में ही दूसरा सदन यानि राज्य विधान परिषद् है। राज्य विधान परिषद् राज्य का स्थाई सदन होता है, जिसे कभी भी भंग नहीं किया जा सकता है परन्तु इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष निर्धारित होता है। राज्यों में विधान परिषद् को कुछ इस प्रकार से गठित एवं विकसित किया जाता है , कि प्रत्येक दूसरे वर्ष इसके
1∕3 सदस्य अपने 6 वर्ष का कार्यकाल पूरा करके सेवानिवृत्त हो। जिनके स्थान पर नये
1∕3 सदस्यों को निर्वाचित एवं मनोनित किया जाता है।
राज्य विधान परिषद् की अधिकतम सदस्य संख्या, राज्य विधान सभा की सदस्य संख्या के
1∕3 हो सकती है या न्यूनतम 40 हो सकती है (जिस विधान सभा के सदस्यों का एक-तिहाई 40 से कम होता है, वहाँ विधान परिषद् में 40 सदस्य होते हैं।)
(उदाहरण:- नागालैण्ड-60 विधान सभा सदस्य
=×60=20, तो विधान परिषद् में 40 सदस्य होगें
) - राज्य विधान परिषद् की संरचना ( निर्वाचन/ मनोनयन )नोट- मनोनयन का आधार- इन पाँच क्षेत्रों ( यथा- कला, विज्ञान, साहित्य, समाज सेवा, सहकारी आंदोलन ) में व्यवहारिक अनुभव या विशेष ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को राज्यपाल मनोनीत कर सकता है।