सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा-मोहनजोदड़ो सभ्यता या सिन्धु-सरस्वती सभ्यता भी प्राक्-ऐतिहासिक (Protohistoric) संस्कृति है, जिसे कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है। रेडियो कार्बन डेटिंग तकनीकी से इस सभ्यता का समय काल 2300−1750 ई.पू. बताया गया है, परंतु नई डेटिंग तकनीकि से इस सभ्यता के समयकाल का प्रमाण अति प्राचीन 8000−5300 ई.पू. सत्यापित हुआ है, जो विश्व की सबसे प्राचीन नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता में 7 प्रमुख नगरीय केन्द्र थे। जिसमें से धौलावीरा (कच्छ, गुजरात, बी.बी. लाल द्वारा 1959 में खोज ) में तीन नगरों या तीन भागों मे विभाजित एकमात्र नगर के अवशेष प्राप्त हुए है। यहाँ से नागरिक उपयोग के लिए सबसे बड़ा अभिलेख खेल का मैदान तथा पत्थर की बनी नेवले की मूर्ति आदि भी प्राप्त हुई है। मोहनजोदड़ो (सिंधु नदी, लरकाना; पाकिस्तान से विशाल स्नानागार, अन्नागार, सभा भवन, पत्थर की मुहर पर पानी का जहाज , मिट्टी की गाड़ी और बंदर आदि प्राप्त हुए है, तथा कालीबंगन ( राजस्थान ) से आरंभिक हड़प्पाकालीन सभ्यता के प्रमाण, हल द्वारा जुते खेत, बेलनाकार मुहर, सबसे पहले ज्ञात भूकंप के साक्य, चूड़ियाँ, एवं अग्निकुण्ड (हवनकुण्ड) आदि प्राप्त हुआ है।