चदैनी मूलत: लोरिक चंदा की प्रेमगाथा है, जिसमें 'राऊत' जाति केलोग या पुरुष पात्र विशेष वेषभूषा में नृत्य के साथ चदैनी कथा प्रस्तुत करते हैं। यह लोक गायन के साथ-साथ लोक नृत्य भी है तथा चदैनी लोक गायन, गोंड नाट्य के रूप में प्रचलित है, एक विशिष्ट छत्तीसगढ़ी शैली, खड़े साज के नाचा के रूप में चदैनी-गोंड की एक विशिष्ट पहचान बन गई है। यह लोक गायन छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा जिले में ( मुख्यत:) गाया जाता है।