23 जुलाई, 1555 को हुमायूँ ने दिल्ली में प्रवेश कर पंद्रह वर्षों बाद एक बार फिर भारत के सम्राट का ताज पहना। तत्पश्चात् 24 जनवरी, 1556 ई. को हुमायूँ दीनपनाह या शेरमण्डल स्थित अपने पुस्तकालय की सीढियों से उतर रहा था, तभी पैर फिसल जाने के कारण गम्भीर रूप से घायल हो गया और 26 जनवरी, 1556 को हुमायूँ की मृत्यु हो गई। इसकी सूचना बैरम खाँ (मुगल वजीर) ने अकबर को कलानौर ( गुरदासपुर, पंजाब ) में फरवरी 1556 को दी तथा यही पर बैरम खाँ ने अकबर को 13 वर्ष की आयु में ही मुगल शासन की राजगद्दी पर बैठाया। शासक बनने के बाद 1556 से 1560 तक अकबर बैरम खाँ के संरक्षण में रहा। उसके बाद मक्का-मदीना की सैर करने के लिए अकबर ने बैरम खाँ को भेज दिया, जहाँ रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।