समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD): वाइगोत्सकी ने उन बच्चों पर कार्य करते हुए जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकलांग थे, अपने अनुशीलन की शुरुआत एक मनोवैज्ञानिक के रूप में किया। सर्वप्रथम उसने बच्चों की मानसिक दक्षता का परीक्षण किया। यद्यपि उन्होंने शीघ्र ही यह धारणा विकसित की कि बच्चों का परीक्षण दो बार किया जाना चाहिए : पहली बार उनके अपने प्रदर्शन और दूसरी बार किसी वयस्क की थोड़ी मदद लेकर उनके प्रदर्शन की जाँच। यह तकनीक बच्चे की 'तत्परता' और 'उपलब्धि का वास्तविक स्तर' दोनों का आकलन करती है। स्वतंत्र रूप से बच्चा क्या कर सकता है और अत्यंत प्रशिक्षित वयस्क के मार्गदर्शन में बच्चा क्या कर सकता है, के बीच के अंतर को वाइगोत्सकी ने समीपस्थ विकास का क्षेत्र कहा।