गुप्तवंश का प्रारंभिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। ये (गुप्त लोग) कुषाणों के सामंत थे तथा ब्राह्मण वर्ण ( धारण गोत्र) के थे। इसका उल्लेख चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमा- दित्य की पुत्री प्रभावती ने अपने पूना ताम्र पत्र लेख में किया है। गुप्तों की वंशावली के संदर्भ में हमें महत्त्वपूर्ण जानकारी समुद्रगुप्त की 'प्रयाग प्रशस्ति', कुमारगुप्त के 'बिलसंड स्तम्भलेख' तथा स्कन्दगुप्त के 'भीतरी स्तम्भलेख' से प्राप्त होती है। गुप्तों के आदिपुरुष का नाम श्रीगुप्त था तथा उसके उत्तराधिकारी व पुत्र घटोत्कच था। गुप्त वंशावली में सबसे पहला शासक चंद्रगुप्त प्रथम का उल्लेख है। जिसनें महाराजधिराज की उपाधि ग्रहण की थी। अर्थात् गुप्तवंश के शासकों का क्रम निम्नानुसार है:- - चंद्रगुप्त प्रथम (319-334 ई.) - समुद्रगुप्त (334−380 ई. ) - चंद्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' (330-412 ई.) - कुमारगुप्त प्रथम (412−455 ई.) - स्कन्दगुप्त (455−467 ई. )