चोलों का प्रारंभिक इतिहास संगम युग (तीसरी शताब्दी ई.पू.) से प्रारंभ होता है , परंतु चोल साम्राज्य का राजनीतिक उत्कर्ष -उदय नौवीं शताब्दी ई. में विजयालय के अधीन हुआ था। उसने तंजौर (तंजावूर) पर अधिकार करके 'नरकेसरी' की उपाधि धारण की थी। चोल वंश के महान शासक राजराज प्रथम ने पहली बार नौसेना का निर्माण किया तथा उसने चेरों की नौसेना को कण्डलूर में पराजित किया। इसने ही नौसेना द्वारा जल सेवा प्रारम्भ की थी तथा इसने एक दूत मण्डल चीन भेजा था। राजराज प्रथम के पुत्र राजेन्द्र प्रथम (1014−1044 ई.)-चोल वंश का महानतम शासक बना, तथा इसने नौसेना को संगठित करके अपनी साम्राज्यवादी नीतियों को मूर्त रूप दिया। तथा अपने साम्राज्य का विस्तार मलाया प्रायद्वीप, सुमात्रा, जावा और निकटवर्ती द्वीपों तक किया। इसकी शक्तिशाली नौसेना ने श्रीलंका एवं मालद्वीप पर नियंत्रण रखते हुए पूर्वी संसार विशेषतया चीन के साथ व्यापार को विकसित रखा था।