मुगल सम्राट अकबर (1556-1605 ई.) के दरबार में 9 नवरत्न रहते थे, जिसमें से तानसेन, टोडरमल एवं अबुल फजल प्रमुख थे। तानसेन या मियां तानसेन या रामतनु पाण्डेय हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महान ज्ञाता थे। "अबुल फजल के अनुसार" अकबर के दरबार में 36 गायकों को राजाश्रय प्राप्त था। किन्तु उनमें सवर्धिक प्रसिद्ध तानसेन व वाजबहादुर ही थे। तानसेन को अकबर ने रीवा के राजा रामचंद्र से प्राप्त किया था। अकबर द्वारा तानसेन को 'कणठा भरणवाणी बिलास' की उपाधि प्रदान की गई। तानसेन का नाम मोहम्मद अता अली खाँ उसके गुरु मोहम्मद गौस ने रखा था। अबुल फजल ने 'अकबरनामा' लिखी यह अकबर का वजीर (प्रधानमंत्री) था। जबकि टोडरमल, अकबर का वित्तीय सलाहकार और राजस्व अधिकारी ( वित्त मंत्री ) था तथा अधम खाँ अकबर की धायमां माहमअनगा का पुत्र था, जिसे अकबर अपना बड़ा भाई मानता था।