पंचायती राज प्रणाली के प्रत्येक स्तर पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पंचायती क्षेत्र में उनकी जनंसख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान है। राज्य विधायिका को यह अधिकार दिया गया है कि वह ग्राम या किसी भी स्तर पर अनुसूचित जाति या जनजाति हेतु प्रधान (अध्यक्ष) के पद के लिए आरक्षण संबंधी उपबंध कर सकती है तथा पिछडे वर्गों के लिए सीटों और अध्यक्ष पद के लिए भी आरक्षण कर सकती है। इस अधिनियम में कुल सीटों की संख्या का 1∕3 महिलाओं के लिए ( जिसमें अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित सीटें भी शामिल है ) तथा अध्यक्ष पद की कुल संख्या का 1∕3 महिलाओं के लिए आरक्षित है। संविधान की अनुसूची 5 और 6 में वर्णित अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के सम्मेलन की अध्यक्षता अनुसूचित जाति व जनजाति का सदस्य करता है, जिसे ग्राम सभा द्वारा चुना या निर्वाचित किया गया है।