नागपुर के भोंसले वंश के शासक रघुजी भोंसले के दक्षिण भारत अभियान के दौरान उनके सेनापति भास्कर पंत ने दक्षिण कोसल पर कब्जा जमाने का प्रयास किया। 1741-42 में रतनपुर के क्षेत्र में उसने अपना प्रभुत्व स्थापित किया। इस समय रतनपुर में रघुनाथ सिंह का शासन था। इस तरह बिम्बाजी भोंसले ( 1758−87 ई.) को छत्तीसगढ़ का प्रथम स्वतंत्र मराठा शासक माना जाता है। इनकी एक स्वतंत्र सेना थी तथा शासन जनहितकारी था। भोंसले वंश के अंतिम शासक रघुजी तृतीय ( 1830−1853 ई.) के वयस्क होने पर 1836 में अंग्रेजों ने छत्तीसगढ़ का शासन उन्हें सौंप दिया जिन्होंने 1853 (मृत्यु तक) तक शासन किया। तत्पश्चात् डलहौजी की व्यपगत नीति के अंतर्गत 1854 में नागपुर राज्य का ब्रिटिश औपनिवेशिक राज्य में विलय कर लिया गया। इन सौ सालों में ( मराठा शासन के) छत्तीसगढ़ में कई विद्रोह हुए, जिनमें से धमधा, बरगढ़ तथा तारापुर विद्रोह मुख्य है।