पूर्व-संक्रियात्मक बच्चे संरक्षण करने में असफल हो जाते हैं। इनकी असफलता न सिर्फ इसलिए होती है कि वे ध्यान कंद्रित नहीं कर सकते बल्कि इसलिए भी कि वे मानसिक रूप से प्रतिलोम कार्यों को करने में असमर्थ होते हैं। पूर्व-संक्रियात्मक सोच की यह विशेषता अनुत्कमणीयता कहलाती है। उदाहरण के लिए, अगर एक पूर्व-संक्रियात्मक बच्चा एक छोटा, चौड़ा गिलास से कोई तरल पदार्थ एक लम्बे, पतले गिलास में ढालते हुए देखता है तो बच्चे को लगेगा कि दूसरे वाले गिलास में ज्यादा तरल पदार्थ है। तरल पदार्थ की मात्रा के संरक्षण की यह विफलता दृष्टिगोचर होती है जब इसे अलग आकृति लम्बा, पतला गिलास में रखा जाता है। यह सिर्फ बच्चे के दूसरे गिलास में तरल पदार्थ की ऊँचाई पर ध्यान केन्द्रित करने के कारण ही नहीं होता बल्कि बच्चे की कल्पना करने में असमर्थता के कारण भी होता है कि पहले गिलास से ढालने पर मात्रा वही रहेगी। इस उम्र के बच्चों में समान तर्क लागू होता है, जब बच्चा द्वारा अनुमान लगाया जाता है कि मिट्टी की गेंद को मिट्री की सीढ़ी पर लुढ़काया जाता है तो उसकी मात्रा अधिक होती है।